देवभोग_सरनाबहाल रात्रिकालीन क्रिकेट प्रतियोगिता में हरदीभाठा टीम बना विजेता,पुरस्कार वितरण कर मुख्य अतिथि लोकेंद्र कोमर्रा बोले खेल केवल मनोरंजन के साधन नही लोकाचार व भाईचारा भी सीखाता है। - state-news.in
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देवभोग_सरनाबहाल रात्रिकालीन क्रिकेट प्रतियोगिता में हरदीभाठा टीम बना विजेता,पुरस्कार वितरण कर मुख्य अतिथि लोकेंद्र कोमर्रा बोले खेल केवल मनोरंजन के साधन नही लोकाचार व भाईचारा भी सीखाता है।

 

देवभोग_सरनाबहाल रात्रिकालीन क्रिकेट प्रतियोगिता में हरदीभाठा टीम बना विजेता,पुरस्कार वितरण कर मुख्य अतिथि लोकेंद्र कोमर्रा बोले खेल केवल मनोरंजन के साधन नही लोकाचार व भाईचारा  भी सीखाता है।

वीगत दो दिनों से आयोजित सरनाबहाल रात्रिकालीन क्रिकेट प्रतियोगिता का बीती रात समापन हुआ।फाइनल मैच में हरदीभाठा ने कड़े व रोमांचक मुकाबले में अमलीपदर को हराकर ट्रॉफी पर कब्जा कर लिया। विजेता टीम को आयोजन के मुख्य अतिथि लोकेंद्र सिंह कोमर्रा,राष्ट्रीय महासचिव अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा के हाथों ट्रॉफी व 31 हजार नगद पुरस्कार भेंट किया गया वही उपविजेता अमलीपदर टीम को 21हजार नगद भेंट किया गया।मैन ऑफ द मैच दीपक यादव हरदीभाठा, और मैन ऑफ द सिरिज का पुरुस्कार कुलेश श्रीवास को दिया गया।पुरस्कार वितरण से पहले युवा मंच सरनाबहाल ने मुख्य अतिथि कोमर्रा का बाजे गाजे के साथ भव्य स्वागत किया। श्री कोमर्रा ने पुरुस्कार समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि खेल केवल मनोरंजन का माध्यम नही होता,इसके जरिए लोकाचार, भाइचारा की भी हमे सिख मिलती है। दुरस्त अंचल में हुए इस आयोजन के लिए  कोमर्रा ने सरनाबहाल  युवा मंच की  प्रशंसा कीया। मैन ऑफ द मैच दीपक यादव हरदीभाठा और मैन ऑफ द सिरिज कुलेश श्रीवास अमलीपदर बने।

ग्रामीण प्रतिभा को लगातार बढ़ावा दे रहे कोमर्रा _ देवभोग के मूंगझर में रहने वाले अखिल भारतीय गोडवाना गोड महासभा के राष्ट्रीय महासचिव देवभोग व मैनपुर ब्लॉक के दूरस्थ गांव में आयोजित होने वाले क्रिकेट के अलावा ग्रामीण आयोजन में पहुंच कर ग्रामीण प्रतिभाओं का उत्साह वर्धन कर रहे है।आदिवासी अंचलों में होने वाले प्रत्येक आयोजनों में भाग लेकर प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक व समाजिक स्तर पर अपना योगदान दे रहे हैं। लोकेंद्र ने कहा की शहरी चका चौंध के बीच ग्रामीण प्रतिभा खोते जा रही है,उन्हे एक सशक्त माध्यम दिलाकर उनकी प्रतिभा को निखार लाने मेरी कोशीस रहेगी।अपने पुराने दिनों को याद कर भाऊक होकर कहा कि पिछड़े अंचल को मूख्यधारा से जोड़ने के लिए और ज्यादा मेहनत करने की आवश्कता है।


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