छत्तीसगढ़ वनांचल में स्थित आई.एस.बी.एम. विश्वविद्यालय के खिलाफ लगाई गई याचिका माननीय उच्च न्यायालय द्वारा खारिज
रायपुर, 23 जनवरी, आईएसबीएम विश्वविद्यालय की छवि खराब करने की नीयत से रायपुर के कथित आरटीआई एक्टीविस्ट संजीव अग्रवाल के द्वारा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका लगाई थी। माननीय उच्च न्यायालय ने विधिवत रूप से सभी पक्षों के लिखित जवाब एवं सभी पक्षों को सुनने के बाद दिनांक 18.01.2023 को दिये गये अपने आदेश में उक्त जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। अपने आदेश में माननीय उच्च न्यायालय ने कहा है कि जनहित याचिका की आड़ लेकर न्यायालय अतिगामी जांच का आदेश जारी नहीं कर सकता। जनहित याचिका कमजोर वर्ग के लोगो के बचाव हेतु है, इसका उद्देश्य निजी हितों तथा व्यक्तिगत लाभों को प्राप्त करना नही है।
विश्वविद्यालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि है कि संजीव अग्रवाल एवं बलराम साहू के द्वारा लगातार सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया, इलक्ट्रानिक मीडिया, प्रेसवार्ता, रायपुर के मुख्य मार्ग में होर्डिंग एवं अन्य माध्यमों का उपयोग कर कूटरचित तथा फर्जी अंकसूची को विश्वविद्यालय द्वारा जारी किया जाना बताकर लगातार भ्रामक प्रचार एवं विश्वविद्यालय की छवि को धूमिल करने का कुत्सित प्रयास किया गया। इसके साथ साथ संजीव अग्रवाल के द्वारा छुरा थाने, गरियाबंद पुलिस अधीक्षक, सिविल लाईन थाना रायपरु, गरियाबंद कलेक्टर में लिखित रूप से शिकायत भी की गई परन्तु सभी विभागों द्वारा की गई जाचं में विश्वविद्यालय को क्लीन चिट मिली क्योकि ये संजीव अग्रवाल का बनाया हुआ षडयंत्र था और इस कूटरचित अंकसूची के साथ यह विश्वविद्यालय की छवि को खराब कर ब्लेकमेल करने के मकसद से रची गई साजिश थी।
ज्ञातव्य हो कि पूर्व में भी शासन के विभिन्न विभागों द्वारा की गई जांच में यह पाया गया था कि यह मार्कशीट कूटरचित है एवं विश्वविद्यालय द्वारा जारी नही की गई हैं तथा अब माननीय उच्च न्यायालय द्वारा इस जनहित याचिका को खारिज करने से ये साबित होता है कि संजीव अग्रवाल ने बलराम साहू के साथ मिलकर विश्वविद्यालय की छवि को खराब करने के मकसद से जो षडयंत्र रचा था, वे अपने कुत्सित प्रयास एवं साजिश पूर्ण कार्य में सफल नही हो पाये है।
आईएसबीएम विश्वविद्यालय पूरी दृढ़ता एवं आत्मविश्वास के साथ वनांचल के विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान कर रहा है एवं आगे भी करता रहेगा।