माननीय द्रौपदी मुर्मू भारतीय गणराज्य का 15 वीं राष्ट्रपति निर्वाचित हो गई हैं।
माननीय द्रौपदी मुर्मू भारतीय गणराज्य का 15 वीं राष्ट्रपति निर्वाचित हो गई हैं। जिसके लिए 18 जुलाई को मतदान सम्पन्न हुआ था। लगभग 49 प्रतिशत मतों के साथ नामांकन करने वाली देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति प्रत्याशी श्रीमती द्रौपदी मुर्मू मतगणना के पश्चात लगभग 64 प्रतिशत से अधिक मत प्राप्त कर विजयी हुई। देश के अनेक विपक्षी दलों ने द्रौपदी मुर्मू जी का समर्थन किया है। साथ ही विभिन्न राज्यों के विधायकों एवं सांसदों ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर द्रोपदी मुर्मू को वोट किया है, हालांकि प्रतिद्वंदी यशवंत सिन्हा अंतर्आत्मा की आवाज से मतदान की अपील की थी,जिसका फायदा द्रोपदी मुर्मू जी को मिला। 21 जुलाई को मतगणना उपरांत जीत की औपचारिक घोषणा भी हो गई हैं, 25 जुलाई को शपथग्रहण की तैयारी राष्ट्रपति भवन में शुरू हो चुकी हैं।
वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। 15 वें राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मू शपथ लेंगी, वें देश की पहली आदीवासी महिला राष्ट्रपति बनेंगी। आजादी के बाद अब तक छ: ब्राह्मण, तीन मुस्लिम एवं दो दलित राष्ट्रपति बन चुके हैं।
देश की राजधानी दिल्ली से 1650 किलोमीटर दूर भुवनेश्वर, वहां से 300 किलोमीटर दूर मयूरभंज और वहां से 25 किलोमीटर दूर एक आदिवासी गांव पहाड़पुर हैं। 42 साल पहले द्रौपदी मुर्मू का इसी गांव के श्याम मुर्मू से विवाह हुआ था। विवाह से पहले द्रौपदी टुडू हुआ करती थीं, विवाह उपरांत द्रौपदी मुर्मू हो गई। द्रौपदी मुर्मू संथाल समाज से आती हैं, जो कि आदिवासी समुदाय में बहुत सम्मानित समाज मानी जाती हैं।द्रौपदी मुर्मू का जीवन दुःखों से भरा हुआ है।साल 1984 मे तीन साल की बेटी की मौत,साल 2010 में बडा बेटा, साल 2013 मे छोटा बेटा और साल 2014 में पति की मौत के बाद उन्हीं दिवंगतों की स्मृति में अपने पैतृक निवास को स्कूल बना दिया। जहां आज भी बच्चे पढ़ते हैं।
द्रौपदी टुडू का जन्म 20 जून 1958 को ऊपरबेड़ा मे हुआ था, जो कि उनका मायके हैं। स्कूली शिक्षा के बाद भुवनेश्वर के रामादेवी महिला महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। उन्हें ओडिसा सरकार के सिचाई एवं बिजली विभाग में सरकारी नौकरी मिल गई। सरकारी नौकरी छोड़ श्री अरबिंदो एजुकेशन सेंटर में मानद सहायक अध्यापक के रूप में कार्य किया।
साल 1997 मे राजनीतिक पारी की शुरुआत करते हुए, रायरंगपुर नगर पंचायत से वार्ड पार्षद चुनी गईं। साल 2000 मे उडिसा सरकार मे मंत्री बनी, साल 2007 में ओडिसा विधानसभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक चुनी गई। 18 मई 2015 से 13 जुलाई 2021 तक झारखंड राज्य की पहली महिला राज्यपाल बनी,सामान्यतः राज्यपाल का कार्यकाल पांच वर्ष का होता हैं, लेकिन भारत सरकार द्वारा इनका कार्यकाल एक वर्ष से भी अधिक समय के लिए बढाया गया। द्रौपदी मुर्मू का जीवन दुःखों और संघर्षो की कहानी हैं, परिवार के नाम पर एक मात्र बेटी हैं, शेष अब इस दूनिया मे नहीं है। द्रौपदी मुर्मू ने पार्षद से राष्ट्रपति तक का कठिन सफर तय कर चुकी हैं, मात्र शपथ शेष हैं.....डॉ.भूपेन्द्र कुमार साहु