लादन में लद जाएंगे किसान@अमानक वर्मी कम्पोष्ट की अनिवार्यता समाप्त की जाए: तेजराम विद्रोही, - state-news.in
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लादन में लद जाएंगे किसान@अमानक वर्मी कम्पोष्ट की अनिवार्यता समाप्त की जाए: तेजराम विद्रोही,


 लादन में लद जाएंगे किसान@अमानक वर्मी कम्पोष्ट की अनिवार्यता समाप्त की जाए: तेजराम विद्रोही,

किसानों को सहकारी समितियों के माध्यम से दिए जाने वाले वर्मी कम्पोस्ट खाद वितरण पर रोक लगाने की मांग करते हुए अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के सचिव तेजराम विद्रोही ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने सहकारी समितियों के माध्यम से सभी ऋणी किसानों को प्रति एकड़ एक क्विंटल गोबर खाद वर्मी कम्पोष्ट के नाम पर 10 रुपये प्रति किलो की दर से देना अनिवार्य कर दिया है और कहा जा रहा है कि इससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा तथा रासायनिक खाद की संकट से निजात मिलेगी। विचार तो अच्छा है लेकिन कार्य कोसो दूर है। क्योंकि किसानों को एक हजार रुपये प्रति क्विंटल की दर से दिए जाने वाला वर्मी कम्पोष्ट खाद अमानक, वजन में कम और कंकड़ पत्थर से भरा हुआ तथा अधिक महंगा है। सोचने वाली बात यह है कि प्रदेश में निर्मित 90 प्रतिशत गौठान में दो रुपये की दर से गोबर खरीदी बंद है, जहाँ पर खरीदी की गई है वहाँ अधिकांश जगहों पर केंचुवा नहीं डाली गई है सूखे गोबर को पानी डालकर भुरभुरा कर पाकिट बनाकर समितियों में सप्लाई की जा रही है जो अमानक है। 

केंद्र व राज्य सरकार की किसान विरोधी नीतियों का आलोचना करते हुए तेजराम विद्रोही ने कहा कि डीएपी के प्रति 50 किलो की बोरी में 150 रुपये की वृद्धि हुई है किसानों की आय दुगुनी करने वाली केंद्र सरकार ने किसानों की लागत चार गुनी कर दी है।  एक तरफ खाद कंपनियों की दबाव में  निजी खाद विक्रेता दुकानदार किसानों को लदान के रूप में जिंक, झाइम आदि जो दे रहे हैं उससे किसान अतिरिक्त्त आर्थिक भार उठा रहे हैं वही  दूसरी तरफ राज्य सरकार अमानक वर्मी कम्पोष्ट खाद जबरदस्ती देकर किसानों पर बोझ लाद रही है। किसानों को कहा जा रहा है कि जब तक किसान सहकारी समितियों से वर्मी कम्पोष्ट खाद नहीं लेगा तब तक उन्हें दी जाने वाली नगद ऋण स्वीकृत नहीं किया जाएगा इससे किसान लादन और कर्ज की बोझ से लद रहे हैं। समितियों से किसानों को पर्याप्त रासायनिक खाद नहीं मिल पाता है ऐसे में उन्हें सरकार और दुकानदार दोनों से लादन लेना पड़ेगा इसलिए किसानों को अमानक वर्मी कम्पोष्ट खाद जबर्दस्ती न दिया जाए उन पर रोक लगे।

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