कांग्रेस का कर्मठ सिपाही हूँ, पार्टी ने अबतक जो जिम्मेदारी दी बखूबी निभाई, खैरागढ़ विधानसभा का टिकट मिला तो पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरूंगा-----रणजीत सिंह चंदेल - state-news.in
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कांग्रेस का कर्मठ सिपाही हूँ, पार्टी ने अबतक जो जिम्मेदारी दी बखूबी निभाई, खैरागढ़ विधानसभा का टिकट मिला तो पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरूंगा-----रणजीत सिंह चंदेल

 


विधायक देवव्रत सिंह के आकस्मिक निधन के बाद खैरागढ़ विधानसभा में उपचुनाव की सरगर्मियां तेज हो गयी है। सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी हो या फिर विपक्षी पार्टी भाजपा या फिर छजकां, सभी पार्टियां चुनावी तैयारियों में जुट गई है और चुनाव लड़ने के इच्छुक नेता टिकट पाने की जुगत में भीड़ गए है। हालांकि अभी उपचुनाव की घोषणा नही हुई है फिर भी टिकट की लालसा रखने वाले बायोडाटा के साथ अपने आकाओं की चौखट पर पहुंचना शुरू हो गए है।


कांग्रेस में कई दावेदार

सत्तारूढ़ कांग्रेस से भी कई दावेदारों के नाम सामने आ रहे है। सभी अपनी टिकट पक्की बता रहे है। यही नही अपनी टिकट पक्की होने के पीछे की ठोस वजह भी गिना रहे है। मगर ये चुनाव है जब तक बी फार्म हाथ मे ना आ जाये तबतक टिकट पक्की होने की गलत फहमी पालना खुद को धोखा देने के बराबर है।


इन्होंने भी जताई दावेदारी

कांग्रेस किसान मोर्चा के प्रदेश महामंत्री रणजीत सिंह चंदेल ने भी अपने दावेदारी पेश की है। उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस के कर्मठ सिपाही है। पार्टी ने अबतक उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपी है उसे उन्होंने बखूबी निभाया है। उन्होंने कहा है कि यदि खैरागढ़ से उन्हें विधानसभा का टिकट मिलता है तो वे निश्चित ही जीत दर्ज करेंगे और पार्टी को निराश नही होने देंगे।


संगठन की जिम्मेदारी का लंबा अनुभव

टिकट को लेकर अपनी दावेदारी पुख्ता करते हुए 44 वर्षीय चंदेल ने कहा कि वह 15 साल की उम्र से पार्टी से जुड़े है। तकरीबन 29-30 साल के अपने राजनीतिक कैरियर में उन्होंने संगठन और सत्ता दोनो में काम किया। इस दौरान पार्टी ने जो भी जिम्मेदारी दी उस पर खरा उतरा हूं।



गिनाई जवाबदारियां

चंदेल ने बताया कि 9वी कक्षा में NSUI की शाला इकाई का निर्विरोध कोषाध्यक्ष चुने जाने पर उनके राजनीतिक जीवन की शुरुवात हुई है। उनकी मेहनत को देखते हुए अगले ही साल उन्हें छुईखदान ब्लॉक युवा कांग्रेस का महामंत्री बना दिया गया और 4 साल बाद ग्रामीण ब्लॉक अध्यक्ष। चंदेल ने कहा कि अपने काम के प्रति निष्ठा और ईमानदारी के कारण पार्टी ने उन्हें लगातार आगे बढ़ने का मौका दिया है। इसके बाद 1999 में वे राजनांदगांव जिला ग्रामीण युवा कांग्रेस के संयुक्त सचिव, अगले साल 2000 में सचिव और 2002 में जिला ग्रामीण युवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष बनाये गए। इसके बाद 2011 में लोकसभा युवा कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई ओर 2013 में लोकसभा युवा कांग्रेस के महासचिव का दायित्व उन्हें सौपा गया।



चुनावों में भी लगातार दर्ज की जीत 

चंदेल ने अपनी दावेदारी पुख्ता करते हुए बताया कि अबतक उन्होंने जितने भी चुनाव लड़े सभी में उन्हें जनता का आशीर्वाद प्राप्त हुआ है और जीत दर्ज की है। सबसे पहले 2009 में  जनता ने उन्हें पत्थर्रा पंचायत में निर्विरोध पंच चुनकर जीत का आशीर्वाद दिया। अगली बार 2009 में वे उपसरपंच चुने गए। 2015 में सरपंच बने और वर्तमान में 2020 से उपसरपंच की जिम्मेदारी निभा रहे है।



समाजिक दायित्वों को भी निभाया

चंदेल ने बताया कि अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभाने में भी वह पीछे नही हटे। समाजिक गतिविधियों में उन्होंने हमेशा बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। समाज ने जो भी जिम्मेदारी सौंपी उसका बखूबी निर्वहन किया। उन्होंने बताया कि राजपूत क्षत्रिय महासभा उप समिति गंडई के नवयुवक मंडल के 2001 में वे पहली बार निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए। इस जिम्मेदारी को उन्होंने लगातार 11 साल तक निभाया। वे 2012 तक इस पद पर बने रहे। इसके बाद समाज ने 2012 में छत्तीसगढ़ राजपूत क्षत्रिय केंद्रीय नवयुवक मंडल के कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। उसे भी उन्होंने पूरी शिद्दत से निभाया।



तीन पीढ़ियों का कांग्रेस से रिश्ता

चंदेल ने अपनी दावेदारी पुख्ता करते हुए आखिरी दांव भी खेल दिया है। जो उनके लिए मिल का पत्थर साबित हो सकता है और कांग्रेस में उसकी बहुत अहमियत मानी जाती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस उनके खून में बसती है। उनकी तीन पुस्ते कांग्रेस के झंडे तले काम करती आ रही है। उनके दादा स्व ररूहा सिंह चंदेल मालगुजार रहे है और 1954 से लेकर 1965 राजा विरेन्द्र बहादुर सिंह के नेतृत्व में पार्टी के लिए कार्य कर चुके है। उनके पिताजी स्व पुलेंद्र सिंह ने 1970 में पार्टी की सदस्यता ली और जिला कांग्रेस कमेटी में काम किया। सरपंच ओर जनपद सदस्य भी रहे।



पूरा खानदान जनसेवा में जुटा

चंदेल ने बताया कि उनके दोनो भाई और भाभी भी कांग्रेस के वफादार सिपाही रहे है। बड़े भाई संजू सिंह चंदेल लगातार 5वी बार जनपद सदस्य है। जनपद सभापति भी रहे है। संगठन में भी अपनी जिम्मेदारी निभा रहे है। दूसरे बड़े भाई स्व चिरजिवेंद्र सिंह चंदेल भी कांग्रेस पार्टी के कट्टर समर्थक रहे है। उन्होंने 1982 में गंडई के पहले नगरपालिका अध्यक्ष होने का गौरव प्राप्त है। भाभी सुधा संजू सिंह वर्तमान में छुईखदान जनपद पंचायत की कृषि स्थायी समिति की सभापति है।



जीत का दिलाया भरोसा

चंदेल ने अपने राजीनीतिक जीवन का अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने अधिकतर ग्रामीण क्षेत्र की राजनीति की है। किसानों के लिए आंदोलन भी किए है। सरपंच संघ का अध्यक्ष रहने के दौरान उनका संपर्क पूरे खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्रवासियों से रहा है। जो विधानसभा चुनाव के दौरान उनके काम आ सकता है। वैसे भी खैरागढ़ एक ग्रामीण विधानसभा सीट है ऐसे में यदि पार्टी किसी युवा ग्रामीण को टिकट देती है तो उसका फायदा पार्टी को मिल सकता है।

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