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सहकारी समितियों में अऋणी किसानों को नगद राशि से खाद विक्रय किये जाने किया मांग

 


 छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ (संयुक्त किसान मोर्चा) के किसानों की सात सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने सहकारी समितियों में अऋणी किसानों को नगद में खाद विक्रय किये जाने के संबंध में मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री छत्तीसगढ़ के नाम पत्र देकर तथा कृषि उत्पादन आयुक्त एवं मुख्य सचिव कृषि विभाग डॉ कमलप्रीत सिंह व प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक श्री कांडे  से मुलाकात कर सहकारी समितियों में अऋणी किसानों को नगद राशि मे खाद विक्रय करने ज्ञापन प्रस्तुत किया है और मांग की  है कि 2011 में सहकारी समितियों में नगद खाद विक्रय संबंधित पारित आदेश को निरस्त किया जाए।

प्रतिनिधि मंडल में शामिल किसानों तेजराम विद्रोही सचिव अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा एवं संचालक मंडल सदस्य छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ, जागेश्वर जुगनू चन्द्राकर जिला पंचायत सदस्य महासुन्द, सोहन पटेल जनपद पंचायत सदस्य पिथौरा, सुशील कुमार भोई  किसान जन जागरण समिति सिंघनपुर, लोकनाथ नायक किसान मजदूर संघर्ष समिति बलौदाबाजार, लखन पटेल बसना ने  ज्ञापन में कहा है कि छत्तीसगढ़ मूलतः कृषि प्रधान राज्य है जहां वर्तमान में अऋणी किसानों को उर्वरक खाद जैसे यूरिया , डीएपी , पोटाश आदि सस्ते दामों पर सहकारी समितियों के माध्यम से नगद राशि में उपलब्ध नहीं हो पा रही है । नीजि उर्वरक विक्रेताओं द्वारा खाद कंपनियों की मुनाफाखोरी के चलते मनमाने दामों पर किसानों को खाद बेची जा रही है जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है । 

तेजराम विद्रोही ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में लगभग 2000 सहकारी समितियां है जहां तकरीबन 2406560 किसान पंजीकृत है । इन पंजीकृत किसानों में से लगभग 60 प्रतिशत किसान सहकारी समितियों के माध्यम से ऋण लेते हैं जिन्हें 60 प्रतिशत नगद राशि और 40 प्रतिशत वस्तु के रूप में खाद बीज आदि प्राप्त होती है । लेकिन 40 प्रतिशत किसान अन्य बैंकों के माध्यम से नगद राशि ऋण लेते हैं जो खाद बीज आदि नीजि दुकानदारों से खरीदते हैं । खरीफ की रकबा लगभग 3010880 हेक्टेयर और रबी का रकबा 1850000 हेक्टेयर है । अर्थात् खरीफ के लिए 15054400 बोरी यूरिया , 24087040 बोरी डीएपी और 6021760 बोरी पोटाश की औसतन आवश्यकता किसानों को होगी । रबी के लिए 9250000 बोरी यूरिया , 14800000 बोरी डीएपी और 3700000 बोरी पोटाश की औसतन आवश्यकता किसानों को होगी ।  सहकारी समितियों में ऋणी किसानों के अलावा अऋणी किसानों को नगद राशि से खाद विक्रय किये जाने प्रावधानित करने से खाद की जमाखोरी और कालाबजारी पर रोक लगाकर किसानों को वाजिब दामों पर खाद उपलब्ध हो सकेगा।

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