गरियाबंद : कांग्रेसियों में इस्तीफे का दौर, आज फिर दो पदाधिकारियों ने दिया इस्तीफा, आखिर इस्तीफे की वजह क्या
राजिम विधानसभा क्षेत्र में सप्ताहभर से कांग्रेस पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओ के इस्तीफे का दौर जारी है। सबसे पहले जिला कांग्रेस कमेटी के सचिव एवन दास पुर्रे ने वरिष्ठ नेताओं पर सहयोग नही करने का आरोप लगाते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया। उसी दिन फिंगेश्वर के 60 से अधिक कार्यकर्ताओं ने भी विधायक की कार्यशीली पर सवाल उठाते हुए इस्तीफे की पेशकश की। और आज गरियाबंद के दो दिग्गज नेताओं ने पार्टी पद से अलविदा होने का मन बना लिया।
पार्टी के गरियाबंद शहर अध्यक्ष दिलीप सिन्हा और शहर महिला अध्यक्ष ललिता सिन्हा ने आज पार्टी पद से इस्तीफा दे दिया। प्रदेशाध्यक्ष मोहन मरकाम के नाम लिखे अपने पद से इस्तीफे में दोनो ने अपना परिवारिक कारण बताते हुए पद से इस्तीफा दिया है। हालाकिं दोनो ने कार्यकर्ता की हैसियत से पार्टी से जुड़े रहने की बात कही है। लेकिन जानकारों की मानो तो इस्तीफे के पीछे के कारण कुछ और ही है। बता दे कि दोनो ही पदाधिकारी लंबे समय से पार्टी से जुड़े हुए है।
राजिम विधानसभा क्षेत्र में सत्तापक्ष के पदाधिकारियों के इस्तीफे की इस तरह झड़ी लगना अपने आप मे कई सवाल खड़े कर रहा है। पहला एवं अहम सवाल क्या इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता अपनी सरकार के कामकाज से खुश नही है। दूसरा सवाल, क्या ये अपनी पार्टी के प्रदेश नेताओं से खुश नही है। तीसरा एवं सबसे अहम सवाल, क्या इस्तीफा देने वाले राजिम विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की धुरी माने जाने वाले प्रथम पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री अमितेष शुक्ल से खुश नही है।
इस्तीफों में लिखी वजहो से तो साफ नजर आ रहा है कि अमितेष शुक्ल की वर्तमान कार्यशौली से कुछ कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी संतुष्ट नही है। लगातार बढ़ते आक्रोश के कारण अब नाराज पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओ ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया है। राजनीति के जानकारों की माने तो कुछ और पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता भी पार्टी से इस्तीफा दे सकते है।
किसको होगा नुकसान
राजिम विधानसभा आजादी के बाद से शुक्ल परिवार का गढ़ रही है। पहले प श्यामाचरण शुक्ल यहां से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते रहे और अब उनके पुत्र अमितेष शुक्ल उस परंपरा को आगे बढ़ा रहे है। बाकी पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता वर्षों से पार्टी की जी जान से सेवा करते आ रहे है। अब अगर वही सेवाभावी पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता पार्टी छोड़कर जा रहे है तो इसका सीधा नुकसान शुक्ल परिवार को ही होगा।
क्या है प्रमुख वजह
चुनाव में कांग्रेस पार्टी को बहुमत मिलने के बाद अमितेष शुक्ल को मंत्रिमंडल में शामिल होने की उम्मीद थी। उन्हें लग रहा था कि शुक्ल परिवार का वारिश होने और सीनियर विधायक के अलावा 58 हजार से जीत दर्ज करने के कारण उनका मंत्रिमंडल में शामिल होना तय है। मगर हालात ऐसे बने कि वे ना तो मंत्रिमंडल में शामिल हो सके और ना ही प्रदेश के बड़े नेताओं से तालमेल बिठाने में कामयाब हुए। नतीजा ये निकला कि वे पार्टी में हासिए पर चले गए। अमितेष ने अपने अंदाज में कई बार पार्टी आलाकमान को अपना विरोध संदेश भेजने की कोशिश भी की मगर मंत्री की कुर्सी नही मिली। उनकी यही कार्यशीली राजिम विधानसभा में भी देखने को मिली। और फिर उनके करीबी धीरे धीरे उनसे दूर होते चले गए जिसे वे समझ नही पाए और अब पार्टी पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओ की वही नाराजगी इस्तीफे के रूप में सामने आ रही है।
क्या इस्तीफे रोकने का कोई समाधान नही
राजनीति के जानकारों की माने तो अमितेष शुक्ल इस्तीफों की इस झड़ी को रोक सकते है। जानकारों के मुताबिक इसके लिए उन्हें अपनी कार्यशीली को बदलना पड़ेगा। एक तो उन्हें अपनी मंत्री पद की अभिलाषा को किनारे करके राजिम विधानसभा के विकास को प्राथमिकता देनी होगी दूसरा पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं में सामाजिक तालमेल बिठाते हुए उनकी वरिष्ठता के आधार पर सम्मानजनक पदों पर बिठाने की पहल करनी चाहिए। राजनीति के जानकारों ने जो सबसे अहम सलाह दी है उसके मुताबिक अमितेष शुक्ल को अपने आसपास गलत सलाह देने वाले झुंड से बाहर निकलकर सच्चे और हितैषी कार्यकर्ताओ की सलाह को तरजीह देनी चाहिए।