श्रद्धा और आस्था का प्रतीक राजिंम माँघि पुन्नी मेले की आज से हुई शुरुवात
पौराणिक मान्यता के मुताबिक वैसे तो देश में अनादिकाल से हर वर्ष माघ पुर्णिमा से महाशिवरात्री तक राजिम पुन्नी मेला आयोजित होता है, देश विदेश के लाखो लोग राजिम पुन्नी मेला में उसी आस्था और विश्वास के साथ इस राजिम मेले में शामिल होते है, जिसकी शुरुवात आज माघी पुन्नी स्नान के साथ हो गयी है, हजारों श्रद्धालूओं ने सुबह त्रिवेणी संगम में स्नान किया, उसके पश्चात भगवान राजीवलोचन और कुलेश्वरनाथ के दर्शन किये, श्रद्धालूओं के त्रिवेणी स्नान का ये सिलसिला आज दिनभर जारी रहेगा।
राजिम पुन्नी मेला की अपनी एक अलग ही पहचान है, पैरी, सोंढूर और महानदी, तीन नदियों के संगम स्थल राजिम त्रिवेणी संगम पर ये राजिम पुन्नी मेला आयोजित होता है, त्रिवेणी संगम के एक तट पर विष्णु के अवतार भगवान श्री राजीवलोचन विराजमान है, और दुसरे तट पर सप्तऋषियों में से एक लोमश ऋषि का आश्रम विद्यमान है, त्रिवेणी संगम के बींचोबीच खुद महादेव श्री कुलेश्वरनाथ के रुप में स्थापित है, वैसे तो श्रद्धालूओं के यहॉ पहुंचने का सिलसिला सालभर लगा रहता है, मगर राजिम मेले के समय श्रद्धालूओं के पहुंचने की संख्या कई गुणा बढ़ जाती है, राजीव लोचन और कुलेश्वरनाथ मंदिर दर्शन के लिए श्रद्धालूओं को घंटो लाईन में खडा होना पडता है
श्रद्धा और भक्ति का दुसरा नाम ही भगवान है, जहॉ श्रद्धा है वहॉ भक्ति है और जहॉ भक्ति है वहॉ भगवान है, भगवान के दर्शनो की चाहत और मोक्ष प्राप्ति की कामना को लेकर श्रद्धालूओं का राजिम पुन्नी मेला में पहुंचने का सिलसिला शुरु हो गया है जो महाशिवरात्रि तक जारी रहेगा।