गरियाबंद सुपेबेडा के आगे सरकारी सिस्टम फैल होता नजर आ रहा है
गरियाबंद सुपेबेडा के आगे सरकारी सिस्टम फैल होता नजर आ रहा है, किड़नी प्रभावित सुपेबेड़ा में शुद्ध पानी के लिए लोग वर्षों से तरस रहे हैं..प्रदेश के स्वास्थ मंत्री, राज्यपाल, का दौरा होने के बावजूद गांव के लोगों को शुद्ध पानी नहीं मिल पाना सरकारी सिस्टम पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है , शुद् पानी की ब्यवस्था नहीं होने से नाराज़ ग्रामीणों ने आज कलेक्ट्रेट पहुंचकर इच्छा मृत्यु की गुहार लगाने मजबुर हो गए है ,इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार सुपेबेड़ा के लिए कितना मेहरबान हैं..... वहीं इस मामले में प्रदेश के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू का कहना है कि सुपेबेडा की हालात पता किया तो सात दिन पहले ही ठीक थी अब क्या विषम परिस्थितियां निर्मित हो गई जो लोग इच्छा मृत्यु मांग रहें है,
किडनी की बीमारी से सुपेबेडा में 76 लोगो की मौत हो चुकी है और 200 से ज्यादा ग्रामीण अभी भी किडनी की बीमारी से जुझ रहे है, मौतो का सिलसिला और बीमार लोगो की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, बीमारी के कारणों का पता लगाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार की एजेंसियों ने दुषित पानी को बीमारी की मुख्य वजह बताया है, पानी में हैवी मेटल, और फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने लोगों की किडनी खराब हो रही है...सरकार ने ग्रामीणों को शुद्धपेयजल उपलब्ध कराने के लिए करोडो रुपये के ट्रीटमैंट प्लांट लगाये है, और गांव में तेलनदी से शुद्व पानी लाने के लिए पाईप लाईन बिछाने का काम अभी तक पुरी नहीं हुई है.. जिससे ग्रामीणों मे सरकार के प्रति काफी आक्रोश व्याप्त है, आसपास गांव के ग्रामीण तिल तिल मरने से बेहतर आज कलेक्ट्रेट पहुचकर इच्छा मृत्यु की मांग कर रहें है, डिप्टी कलेक्टर ऋषा ठाकुर ने कहा कि जल प्रदाय योजना शुरू नहीं हुई है जिसकी मांग को लेकर ग्रामीण आये हैं, राज्यपाल महोदय के नाम से ज्ञापन दिए है.गरियाबंद जिला में देवभोग विकासखंड के छोटे से गांव सुपेबेडा आज किसी परिचय की मोहताज नही है,सुपेबेडा के रहवासी पिछले कई सालों से किडनी के बिमारी की दंश झेल रहें है और बिमारी से कईयों ने अपनों को खोया है , गांव के हर घर में किडनी के मरीज आपको आसानी से मिल जाएगा, यहां के बड़े बुजुर्ग ही नहीं छोटे छोटे बच्चे भी इस गम्भीर बिमारी से पीड़ित है.. दूषित पानी की वजह से लोगों की जानें जा रही है, अब देखना यह होगा कि सुपेबेडा की हालात पर कैसे काबू पायेगी और सरकार कब तक इस गांव के लोगों को शुद्ध पेयजल उलब्ध करा पाती हैं,