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गरियाबंद - CEO हटाओ ब्लॉक बचाओ, सरपंचों का अनिश्चिकालीन धरना जारी

 


गरियाबंद। जनपद पंचायत गरियाबंद के बाद अब छूरा जनपद क्षेत्र के सरपंच CEO से खफा है। नाराज सरपंच जनपद CEO को हटाने की मांग पर अड़े है। सरपंचों ने CEO के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और धरने पर बैठ गए है। सरपंचों ने मांग पूरी नही होने तक अपना धरना प्रदर्शन जारी रखने का दावा किया है। 

सरपंचों के आरोप

सरपंचों ने CEO को लेकर 5 बिन्दुओ पर नाराजगी जाहिर की है। सरपंचों की पहली और सबसे बड़ी नाराजगी सीईओ द्वारा उनकी बात नही सुनने को लेकर है। सरपंचों का आरोप है कि वे जब भी कोई समस्या लेकर उनसे मिलने जाते है तो उन्हें लिखित में देने कह दिया जाता है। दूसरी बार जाने पर भी सीईओ व्यस्तता का हवाला देकर वही जवाब देती है। जिससे उनके काम नही हो पा रहे है। 

सरपंचों का दूसरा आरोप CEO द्वारा फोन रिसीव नही करने को लेकर है। तीसरा आरोप आदिवासी और महिला सरपंचों से ठीक बर्ताव नही करने से जुड़ा है। चौथा आरोप निर्माण कार्यो के मूल्यांकन में जानबूझकर देरी करने और पांचवा आरोप निर्माण कार्यो की राशि का भुगतान करने में देरी को लेकर है।

सभी सरपंच एकजुट

धरने में अहम बात ये है कि सभी सरपंच एकजुट है। भाजपा समर्थित सरपंच यदि धरने पर डटे है तो सत्तापक्ष से ताल्लुक रखने वाले सरपंच भी अपनी आवाज बुलंद कर रहे है। सरपंचों का आरोप है कि जनपद CEO की कार्यशैली के कारण पूरे छूरा ब्लॉक के गांवो को नुकसान हो रहा है। इसलिए वे राजनीति से ऊपर उठकर जनता के विकास के लिए धरने पर बैठे है। 

आदिवासी समाज का समर्थन

धरने पर बैठे सरपंचों को आदिवासी समाज का समर्थन भी प्राप्त है। सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष भरत दीवान ने स्वयं धरनास्थल पहुंचकर सरपंचों की मांगों को जायज ठहराते हुए अपना समर्थन दिया है। आदिवासी नेता और जिला पंचायत सदस्य फिरतुराम कंवर एवं जनपद सभापति नीलकंठ ठाकुर ने भी अपना समर्थन दिया है।

जिला पंचायत सदस्य लक्ष्मी साहू बेहद नाराज

जिला पंचायत सदस्य लक्ष्मी साहू जनपद CEO रुचि शर्मा की कार्यशैली से बेहद नाराज है। उनका कहना है कि काम को लेकर अधिकारी का सुस्त रैवया छूरा क्षेत्र के गांवो पर भारी पड़ रहा है। यही नही लक्ष्मी साहू इसको लेकर पहले भी सीईओ को हिदायत दे चुकी है। जिला पंचायत सदस्य ने कहा कि वह सरपंचों के साथ है और उनकी मांगों का समर्थन करती है।

आदिवासी नेता एवं जनप्रतिनिधि का ब्यान

आदिवासी नेता एवं छूरा जनपद सभापति नीलकंठ ध्रुव ने बताया कि सरपंच जनपद CEO की शिकायत कई बार कर चुके है। जिले के जिम्मेदार अधिकारियों से लेकर प्रभारी मंत्री तक अपना दुखड़ा सुना चुके है। मगर किसी ने नही सुनी। तीन दिन का एल्टीमेटम भी दिया गया। उसके बाद भी जिमेमेदारो के कानों में जूं तक नही रहेगी। अंत मे सरपंचों को धरने पर बैठने मजबूर होना पड़ा। सभापति ने सरपंचों की मांगों को जायज ठहराया है।

अधिकारी मौन

धरने को लेकर जिले के जिम्मेदार अधिकारी मौन बैठे है। तीन दिन से धरना जारी है और सरपंच मांग पूरी नही होने तक अनिश्चिकालीन धरना जारी रखने की बात पर अडिग है। उसके बावजूद भी जिले के जिम्मेदारी अधिकारी ना तो मामले को सुलझाने में दिलचस्पी ले रहे है और ना ही सुलह की कोई कोशिश कर रहे है। ऐसे में धरने का सीधा असर क्षेत्र के विकास पर तो पड़ेगा ही जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के बीच तल्खी भी बढ़ेगी।

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