राजिम विधायक अमितेश शुक्ल स्व. मोतीलाल वोरा की अंत्येष्टि मे हुवे शामिल,विधानसभा मे याद कर दी भावभीनी श्रद्धांजलि
राजिम विधायक अमितेश शुक्ल स्व. मोतीलाल वोरा की अंत्येष्टि मे हुवे शामिल,विधानसभा मे याद कर दी भावभीनी श्रद्धांजलि
लगभग पाँच दशक तक मुख्यमंत्री, राज्यपाल, पार्टी कोषाध्यक्ष सहित विभिन्न दायित्वों को कर्तव्यनिष्ठा के साथ निर्वहन करने वाले मोतीलाल वोरा के निधन के बाद पूरे प्रदेश भर मे गम का माहौल है प्रथम पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री एवं राजिम विधायक अमितेश शुक्ल ने आज राजीव भवन रायपुर मे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित वरिष्ठ नेताओं के साथ आज दिवंगत नेता की पार्थिव देह को श्रधा सुमन अर्पित कर अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि दी श्री शुक्ल ने राजीव भवन मे ही शोक संतृप्त स्व.वोरा के सुपुत्र एवं दुर्ग से विधायक अरुण वोरा से मिलकर उन्हें ढांढस बंधाया श्री शुक्ल ने बाद मे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ स्व. वोरा के पार्थिव शरीर को कांधा दिया तत्पश्चात दिवंगत नेता के पार्थिव देह को उनके पैतृक शहर दुर्ग रवाना किया गया सभी वरिष्ठ नेताओं ने दो मिनट का मौन रख कर दिवंगत नेता स्व. मोतीलाल वोरा को श्रधांजलि अर्पित की ।
विधायक शुक्ल ने पुरानी स्मृति को ताजा करते एक तस्वीर भी साझा कर कहा की ये तस्वीर मेरे लिए एक अमूल्य धरोहर है । मुझे इस बात का सौभाग्य मिला कि आदरणीय राजीव जी मुझे राजनीति में लेकर आए। उनके कहने पर ही मैंने 80 के दशक में युवा कांग्रेस से जुड़कर अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की। उस दौर में सेवा दल का गठन हुआ जिसके अध्यक्ष आदरणीय राजीव जी थे। रायपुर के महादेव घाट में 9 दिनों का प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया था। इस शिविर में रहकर मैंने भी हिस्सा लिया और इसके समापन के अवसर पर अविभाजित मध्यप्रदेश के तात्कालीन मुख्यमंत्री बाबूजी आदरणीय मोतीलाल वोरा जी ने हमें प्रमाणपत्र दिया था।
विधायक अमितेश शुक्ल ने विधानसभा मे भी स्व. वोरा को याद करते हुवे कहा की जिन्हें हम स्नेह और आदर से बाबूजी बोलते थे, उन्हे हम लोग आज इस सदन से श्रधांजलि दे रहे हैं । कांग्रेस जैसे इतने बड़े राष्ट्रीय दल के दशकों तक विभिन्न दायित्वों को संभालते रहने की कला कोई उनसे सीखे, वे अति प्रेम की मूर्ति थे ।बाबूजी से मेरा बहुत ही स्नेह और आत्मीय संबंध था ।मै जब भी दिल्ली जाता था तो उनसे मिलता जाता था तो वो हमेशा बुला के बोलते थे, बोलो अमितेश, पान नही खाओगे क्या । वे अक्सर पान मंगाकर उसमे से आधा पान तोड़कर मुझे देते थे कि लो खाओ । इसी स्नेह और प्रेम के सभी कायल थे । राजनीति मे मतभिन्नताएं होती रहती हैं, पर पुराने जमाने के लोग मनभेद नही रखते थे ।बाबूजी कांग्रेस पार्टी के "टॉर्च बेरियर" थे,एक मशाल थे पार्टी के लिए, उनके जाने से मन द्रवित हो गया है । उनके निधन से छत्तीसगढ़ मे एक युग का अंत कहे तो अतिश्योक्ति नही होगी ।