कृषि बिल किसानों के हित में, किसान हितैषी बताने वाली राज्य की कांग्रेस सरकार किसानों को कर रही भ्रमित- संजय श्रीवास्तव
गरियाबंद। केंद्र की भाजपा सरकार ने किसानों को लुभाने वाली घोषणाओं के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोर कृषि क्षेत्र को समृद्ध और किसानों को सशक्त बनाने पर रहा है। सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को लेकर चल रही है और इस दिशा में अनेक कदम उठाए गए हैं। भाजपा प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि बिल को लेकर कहा है कि यह बिल किसानों के हित में है। वर्षों बाद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह ऐतिहासिक बिल लाया गया है। उन्होने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कांग्रेस किसानों को गुमराह न करें। वर्षों तक कांग्रेस ने देश में राज किया, कभी भी किसानों के हित में फैसले नहीं लिए गए।
श्री श्रीवास्तव ने राज्य की कांग्रेस सरकार के खिलाफ अनेक आरोप लगाए। किसानों के मुद्दे को लेकर भाजपा प्रवक्ता ने पत्रकारवार्ता ली। उन्होंने चर्चा करते हुए कहा कि कांग्रेस की प्राथमिक जिम्मेदारी थी कि 58 वर्षों से जब केंद्र एवं राज्य में उनकी सरकार थी तब किसानों के बारे में कभी नहीं सोचा, जब भाजपा की मोदी सरकार ने किसानों के जीवन की उन्नति और हितों के लिए तीन कानून लाए हैं, तब कांग्रेस को लगने लगा कि किसानों के बीच में उनकी जमीन हिलती हुई दिख रही है तो किसानों को बरगलाकर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा करके केंद्र सरकार के खिलाफ तमाम प्रकार के षड्यंत्र करने का प्रयास लगातार कर रहे हैं। भाजपा प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने झूठ का मतलब कांग्रेस कहते हुए तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का काम ही झूठ बोलना है। कहा कि ऐसे समय में भाजपा की राष्ट्रीय इकाई ने इस बात को तय किया कि झूठ का पर्दाफाश होना चाहिए। राज्य की भूपेश सरकार का एक ही काम रह गया है केंद्र की बातों का विरोध करना। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसी के सुझाव को सुनती नहीं है, किसान हितैषी की बात करती है तो ईमानदारी के साथ में धान खरीदी की आवश्यकता है। कहा कि प्रदेश में किसानों के आत्महत्या और नकली कीटनाशक बिक्री की बातें सामने आ रही है, लेकिन सरकार सुनने का नाम नहीं ले रही है।
श्री श्रीवास्तव ने चर्चा में आगे कहा कि कृषि कानून की जो अच्छाई एवं फायदे हैं, उन बातों को किसान महापंचायत के माध्यम से सोसायटी व आसपास जाकर किसानों से बातचीत करके उनके लाभ बताए जाएंगे। सोशल मीडिया के माध्यम से हर घर तक कृषि कानून के जो फायदें हैं, उन्हें पहुंचाने का प्रयास भाजपा कार्यकर्ता करेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार अपने पहले ही कार्यकाल से किसानों के हितों के प्रति प्रतिबद्ध रही है। कृषि बिल किसानों के हित में है, इस विधेयक से देशभर में किसानों को उपज बेचने के लिए वन नेशन वन मार्केट की अवधारणा को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी द्वारा पहले इन विधेयकों का समर्थन किया जा रहा था, लेकिन अब इस पर राजनीति कर रही है। कहा कि कांग्रेस का केवल एक काम ही बच गया है और वह है झूठ बोलना।
कहा कि किसानों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए संसद के समक्ष तीन बिल (विधेयक) लाए गए। इन विधेयकों को कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए लाया गया है। इसमें आवश्यक वस्तु (संसोधन) विधेयक, किसान व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश और किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौते पर मूल्य निर्धारण अध्यादेश शामिल है। कहा कि कृषि अध्यादेशों से किसानों को बहुत फायदा मिलेगा, ये तीनों अध्यादेश बहुत दूर-दृष्टि वाले हैं।
कांग्रेस पार्टी का काम हर जनकल्याणकारी योजनाओं में राजनीति करना है। कहा कि एमएसपी पर कांग्रेस के बयान को झूठा बताते हुए कहा कि सदन में केंद्रीय कृषि मंत्री ने स्पष्ट किया है कि एमएसपी पर पहले की तरह खरीदी जारी है और रहेगी। किसान अपनी इच्छा अनुसार कहीं भी बेरोक-टोक अपनी उपज बेचकर दाम ले सकेंगे। किसान दलालों से मुक्त होकर सीधे खरीददार से जुड़ेंगे। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस यह झूठ बोलकर किसानों में भ्रम का वातावरण तैयार कर रही है कि किसान अपनी उपज मंडी समिति के बाहर बेचेगा तो मंडी समाप्त हो जाएगी, जबकि किसानों के पास विकल्प खुले रहेंगे वह जहां चाहे उपज बेचेगा और मंडी व्यवस्था समाप्त नहीं होगी। कहा कि किसानों के व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश के ज़रिए किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए सुविधा प्रदान की गई है। इसके पास होने के बाद किसान मंडी के बाहर भी अनाज बेच सकेंगे। इस बिल के जरिए ये जानकारी भी दी जाएगी कि किस जगह कितना दाम चल रहा है और आगे चलकर क्या दाम रहने वाला है।
प्रवक्ता श्री श्रीवास्तव ने कहा कि किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता विधेयक कांट्रैक्ट फार्मिंग (रेगहा) पर आधारित है। यह विधेयक इसलिए जरूरी है क्योंकि देश मे सब लोग खेती नहीं करते हैं, इसलिए इसके माध्यम से एक समझौता किया जाएगा। अगर कांट्रैक्ट खेती करने वाला जमीन पर कोई निवेश भी करता है तो ऐसी स्थिति में भी जमीन का मालिकाना हक किसान के पास ही रहेगा। कांट्रैक्ट फार्मिंग अर्थात रेग खेती जो हमेशा से चली आ रही उसे पहली बार कानूनी प्लेटफार्म दी गई है। करार में केवल उपज का उल्लेख रहेगा किसान के भूमि का नहीं। कहा कि केंद्र सरकार किसानों की सुविधा के लिए एफपीओ (फार्मर्स प्रोड्यूसिंग ऑर्गेनाइजेशन) की गठन करके किसानों को बाजार उपलब्ध कराएगी। देश की उपज की सूचना रहेगी। इस मौके पर भाजपा महामंत्री अनिल चंद्राकर, पूर्व जिलाध्यक्ष डॉ. रामकुमार साहू, आशीष शर्मा, मंडल अध्यक्ष सुरेंद्र सोनटेके, राधेश्याम सोनवानी उपस्थित थे।