न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी नहीं होने से मंडियों में लूटे जा रहे हैं किसान - state-news.in
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न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी नहीं होने से मंडियों में लूटे जा रहे हैं किसान

 


दीपावली के बाद पुनः प्रदेश की कृषि उपज मंडियों में कृषि उपज की खरीदी बिक्री शुरू हो गई है। एक तरफ सरकार द्वारा मार्कफेड के माध्यम से कृषि उपज खरीदी की शुरुआत नहीं होने से किसान परेशान है तो वही दूसरी ओर मंडियों में उनके उपज का दाम पिछले साल की तुलना में प्रति क्विंटल 150 रुपये से 450 रुपये तक नुकसान हो रही है। 19 नवम्बर को मंडियों में मुहूर्त के साथ धान खरीदी शुरू की गई लेकिन व्यापारियों द्वारा लगाई गई बोली 1361 रुपये से 1511 रुपये प्रति क्विंटल रही। 

उक्त आशय की जानकारी देते हुए अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के राज्य सचिव तेजराम विद्रोही ने कहा कि एक ओर केन्द्र सरकार किसानों की आय दुगुनी करने की बात करते हुए नया कृषि कानून लाया है। जिसमे कहा गया है कि किसान अपनी उपज को राज्य के बाहर या राज्य के भीतर कहीं भी किसी भी व्यापारी को किसान अपनी दाम पर बेच सकता है। लेकिन यह केवल झूठ का जुमला ही दिखाई दे रहा है। क्योंकि न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी उस कानून में प्रावधान नहीं किया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार भी मंडी व्यवस्था को मजबूत करने और किसानों को उनके उपज का वाजिब दाम दिलाने जोर से ढोल बजा रहा है लेकिन सत्ता पक्ष के कोई भी जनप्रतिनिधि कृषि उपज मंडियों में खड़ा होकर किसानों को उनके उपज का मनचाहे दाम दिलाने के पक्ष में दिखाई नहीं दे रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार ने समर्थन मूल्य में धान खरीदी करने की शुरुआत अब तक नहीं किया है जिसका नुकसान किसानों को भुगतना पड़ रहा है। किसानों की न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने की गारंटी कानून केन्द्र व राज्य सरकार को लागू करना चाहिए तभी किसानों का भला हो सकेगा। नहीं तो इसी तरह किसान आर्थिक रूप से लूटे जाते रहेंगे।

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