जिन्दगी और मौत से जूझ रहा है जीवन दास अपने बिस्तर में पडे पड़े दुखभरी जिंदगी बिताने को मजबूर हैं !गरीब परिवार इलाज के लिए किसी फरिश्ते का इंतजार कर रहा है !
हिंदी फिल्म की गीत "न जाने किस भेष मे मिल जाये भगवान " ठीक भगवान के रुप मे रुपसिंग साहू सामाजिक कार्यकर्ता एवं कार्यकारी अध्यक्ष युवा प्रकोष्ठ रायपुर संभाग छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ ने आज लगभग 2 सालों से बिस्तर पर जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे जीवन दास मानिकपुरी का हालचाल जानने गरियाबंद जिले के आदिवासी ब्लॉक मुख्यालय छुरा से 15 किलोमीटर दूर ग्राम बोईरगांव रुपसिंग साहू पहुंचे आपको एक बार पुनः बता दे कि 2 साल पहले एक सड़क दुर्घटना में ग्राम सेमरा (छुरा) मोटरसाइकिल में एक पारिवारिक कार्यक्रम में जा रहे थे इसी उपरांत एक अज्ञात चार पहिया वाहन ने ठोकर मार दी एवं सड़क दुर्घटना में जीवन दास मानिकपुरी को गंभीर चोट आई थी जिसके बाद उनके सीने से लेकर कमर एवं पैर तक का हिस्सा पूरी तरीके से चोटें आई थी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र छुरा मैं तत्काल इलाज के लिए पहुंचे थे इसी दौरान ज्यादा चोट लगने के कारण रायपुर राजधानी हॉस्पिटल पचपेड़ी नाका में इलाज करवाया था लेकिन पैसे के अभाव में आधा ही इलाज हो सका जिसके बाद पूरी तरीके से दोनों पैर काम करना बंद कर दिए हैं तब से वे बिस्तर पर पड़े हैं जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उनके पिता भगवान दास मानिकपुरी एवं माता पार्वती बाई मानिकपुरी ने श्री साहू जी को अपना आपबीती सुनाई आर्थिक स्थिति से कमज़ोर परिवार उनके ईलाज़ कराने में असमर्थ है विवश है इस मामले को स्थानीय पत्रकार ने प्रिंट मीडिया एवं पोर्टल समाचार के माध्यम से पढ़कर रूपसिंग साहू ने ग्राम बोईरगांव पहुंचकर जीवन दास मानिकपुरी के माता-पिता एवं पूरे परिवार से मिलकर हालचाल जाना और हर संभव इलाज एवं मदद के लिए आगे आए तत्पश्चात श्री साहू ने पूर्व में इलाज करने वाले राजधानी हॉस्पिटल के डॉक्टर से चर्चा कर इलाज व उपचार के लिए हर संभव मदद करने की बात कही एवं परिवार से यह भी कहा कि डॉ भीमराव भीमराव अंबेडकर अस्पताल एवं डीकेएस मल्टी स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल में इलाज कराने की बात कही एवं इसके बावजूद भी अगर शासन के सरकारी अस्पताल में इलाज नहीं होता तो कोई भी बड़े अस्पतालों में शासन के योजना के द्वारा इलाज कराया जा सकता है यह बात परिवारजनों को श्री साहू ने बताया लगातार जीवन दास मानिकपुरी बिस्तर में लेटने एवं दोनों पैर सुन होने के कारण लगातार बिस्तर में रहने के कारण पीठ एवं कुल्हे में बड़े-बड़े जख्म एवं घाव हो गए हैं जीवन दास मानिकपुरी को इतनी कम उम्र में जटिल बीमारी से ग्रसित है इनके पिता ने बताया कि आज तक शासन प्रशासन एवं क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि से कोई सहयोग नहीं मिल पाया अभी तक लगातार इलाज कराते कराते दाने-दाने के लिए मोहताज हो गए हैं आज भी इस इस ओर किसी के भी ध्यान नहीं गया जैसे ही सामाजिक कार्यकर्ता रूपसिंग साहू को पता चलते ही मदद के लिए आ गया है इस मदद की गुहार सुनकर जीवन दास के व परिवार के चेहरे पर जीने की ललक साफ तौर पर देखने को मिला आशा के फूल जागने की उम्मीद बढ़ी 17 फरवरी 2019 को जीवन दास मानिकपुरी छुरा सेमरा से मोटरसाइकिल मोटरसाइकिल अपने घर शाम को वापस आ रहा था तभी अज्ञात चार पहिया वाहन ने उसे ठोकर मार दी जिसमें जीवनदास की रीढ़ की हड्डी फैक्चर हो गई शरीर के अनेक हिस्सा जैसे कमर पर सिर में गंभीर चोट आई थी उस दरमियान रायपुर की राजधानी हॉस्पिटल में उनका इलाज हुआ जीवनदास इस घटना में मौत के काल से बच गए लेकिन हादसे में लगी गंभीर चोट की वजह से उनका सीने से लेकर पैर तक का हिस्सा पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया है जिसके कारण जीवनदास 2 साल से बिस्तर में अपने जीवन एवं मौत से जूझ रहे हैं आर्थिक तंगी से जूझ रहे जीवन दास के माता-पिता ने बताया कि इलाज के लिए जमा पूंजी गहने जेवर सर सब बेचकर इलाज कराया लेकिन अभी तक ठीक नहीं हो पाया इतने रुपए खर्च हो गए हैं कि उनका बेटा अभी तक ठीक नहीं हो पाया जीवन दास की मां पार्वती ने बताया कि इलाज में बहुत सारे खर्चे हो गए हैं उनके बेटे इलाज के के लिए उनके पास पैसा नहीं है साहूकारों से कर्ज लेकर किसी तरह दवा गोली खरीद कर खिला रहे हैं एवं खाने की भोजन की व्यवस्था रोजी मजदूरी कर अपना जीवन का दिनचर्या बना कर कर रहे हैं उन्होंने बताया कि इलाज के लिए क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि एवं शासन प्रशासन तक गुहार लगाई वे स्वयं अपने बेटे इलाज के लिए मदद की गुहार लगाने गई थी लेकिन किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया बता दें कि पीड़िता चार भाई-बहनों में से जीवनदास बारहवीं तक पढ़ा लिखा है घटना से पहले राजमिस्त्री का काम करता था गौरतलब है कि शासन द्वारा ऐसे लोगों के लिए अनेक प्रकार की योजना संचालित है विभाग द्वारा शारीरिक रूप से विकलांग लोगों के लिए ट्राई साइकिल व अनेक प्रकार की सामग्री वितरण किया जाता है लेकिन जीवन दास को इस योजना का लाभ आवेदन देने के बावजूद भी नहीं मिला गरीब मां बाप ने अपने बेटे को पीड़ा देखकर किसी भी तरह उनके लिए ट्राई साईकिल अपने स्वयं के पैसे से खरीदे हैं।आज भी मदद आश में बैठा है पीड़ित परिवार!