सांसद के व्यवहार से आक्रोशित किसान प्रतिनिधियों ने सांसद कार्यालय के सामने मुख्य सड़क किया जाम - state-news.in
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सांसद के व्यवहार से आक्रोशित किसान प्रतिनिधियों ने सांसद कार्यालय के सामने मुख्य सड़क किया जाम



केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में पारित किए गए कारपोरेट परस्त, किसान, कृषि व उपभोक्ता विरोधी काले कानून के खिलाफ छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ ने आज महासमुन्द लोकसभा क्षेत्र के सांसद चुन्नीलाल साहू से चर्चा करने महासमुन्द स्थित कार्यालय पहुंचे थे लेकिन सांसद नहीं मिले।   गौरतलब है कि आज के कार्यक्रम के लिए सात दिन पूर्व लिखित सूचना सांसद चुन्नीलाल को दिया गया था फिर भी किसानों को मिलने का समय नहीं दिया और न ही अवगत कराया । एक ओर वह अपने पार्टी के लोगों को इकट्ठा कर गावों में बैठकर कृषि कानून की अच्छाई बता रहा है तो दूसरी ओर किसान जब इस मसले पर सवाल के साथ बातचीत करना चाहते हैं तो मिलने का समय नहीं दिया है। इस बात को लेकर किसान खासे आक्रोशित दिखे और सांसद कार्यालय के सामने जमकर नारेबाजी करते हुए कार्यालय के सामने ही धरने पर बैठ गए।

महासंघ की ओर से महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य एवं अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा  के प्रदेश सचिव तेजराम विद्रोही ने बताया कि हमारे प्रतिनिधि मंडल आने के बाद जब उनको मोबाइल से बात किये तो पूर्वाग्रह से ग्रसित सांसद ने दो टूक जवाब दे दिया कि कांग्रेस भवन के सामने पंडाल लगा हुआ है धरना में बैठ जाओ। यही बात श्रीमती सी के सागर ने बताई की कल सांसद से बात हुई थी कि 11 बजे बागबाहरा में कार्यक्रम के बाद महासमुन्द कार्यालय में 2 बजे मिलेंगे लेकिन बाद में जब फोन किया तो धरना में बैठ जाओ कहने लगे। इससे आक्रोशित किसान चुन्नीलाल किसानों का अपमान करना बंद करो, किसानों से माफी मांगो की नारे लगाए। इस बीच सांसद प्रतिनिधि से किसानों ने वीडियो कालिंग के जरिये बात कराने की गुजारिश की लेकिन तब भी बात नहीं किया। अंततः  किसान 2 घण्टे तक किये कार्यालय की धरना से सवा चार बजे सड़क पर आकर  जाम कर दिया। जहाँ नायब तहसीलदार ने नवरात्रि पर्व के भीतर  ही किसानों के साथ सांसद का परिचर्चा बैठक कराने पर सहमति पर ही किसान माने लेकिन किसान सांसद के व्यवहार से खासे नाराज रहे।


विद्रोही ने कहा कि कारपोरेट परस्त, किसान, कृषि व उपभोक्ता विरोधी तीनों कानूनों की चर्चा करते हुए कहा कि भाजपा व प्रधानमंत्री जी गलत जानकारी देकर देश को गुमराह ना करें कि इन कानूनों से किसान आज़ाद हो जायेंगे, बल्कि यह कानून कारपोरेट हितैषी है और जमाखोरी को बढ़ावा देने वाला है। नयी राजधानी प्रभावित किसान कल्याण संघर्ष समिति के अध्यक्ष रूपन चंद्राकर ने कहा कि यह कानून किसानों को कृषि उपज मंडी से दूर कर देगा और किसानों की जमीन कारपोरेट को बिकवा देगा, कालाबाजारी और जमाखोरी बढ़ेगी।


महासमुंद जिला पंचायत सदस्य जागेश्वर जुगुन चंद्राकर ने महासमुंद के किसानों को मंडी से मिल रहे फायदों को गिनाते हुए बताया  कि मण्डी अधिनियम के वजह से व्यपारी का जमीन कुर्क होने वाला है मण्डी का कानून है तो किसान सुरक्षित हैं राजिम में 110 किसानों का जो 56 लाख रुपये भुगतान हो रहा है, बागबाहरा में 40 किसानों के प्रकरण पर व्यापारी के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध हुआ है यह सब पूर्व से स्थापित मंडी अधिनियम की देन है। मण्डी में व्यवस्था सुधारने की जरूरत है और नया कानून बनाने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस नए क़ानून आने पर भविष्य में बड़े कारपोरेट से किसान लड़ नही पाएंगे अतः कृषि उपज मंडी को ही मजबूत किया जाना अति आवश्यक है।

 अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के उपाध्यक्ष मदन लाल साहू ने मांग किया कि सरकार लिखित में दे कि किसानों को इस नए कानून से कोई घाटा नहीं होगा जबकि भाजपा के नेता ही बयान दे रहे हैं कि धान मंडी में रु 666 प्रति क्विंटल बिक रहा है।यदि वे अपने बनाये कानून से आश्वस्त हैं तो किसानों द्वारा प्रस्तुत संकल्प पत्र में हस्ताक्षर कर किसानों को विश्वास में ले।


कृषि वैज्ञानिक डॉ संकेत ठाकुर ने कहा कि किसानों को भाजपा-कांग्रेस की राजनीति से दूर रखा जाये । किसानों ने कभी इन तीनों कानून को लेकर कोई मांग नहीं की और ना ही कोई आंदोलन किया तो फिर यह आज़ादी कैसे हो गई ? उन्होंने तो हमेशा मंडी अधिनियम 1972 को पालन करने की बात कही है।किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग कर रह रहे हैं और साथ ही एमएसपी को फसल खरीदी में अनिवार्य करें और इसको लागू कराने का संकल्प सांसद लें ।

आज के कार्यक्रम में प्रदेश अभिकर्ता एवं उपभोक्ता संघ अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण चंद्राकर, गोविंद चन्द्राकर, पुरुषोत्तम चन्द्राकर, जहूर राम साहू, भीखम चन्द्राकर, श्रीमती सी के सागर, सोमन यादव, होरीलाल साहू,  ललित कुमार, मनोज कुमार,  सहित किसान संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

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