ग्राम पंचायत कोपरा में मनरेगा कार्य फर्जीवाड़ा करने के मामले में पंचायत प्रतिनिधियों ने कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ के पास शिकायत कर जांच की गुहार लगाई , - state-news.in
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ग्राम पंचायत कोपरा में मनरेगा कार्य फर्जीवाड़ा करने के मामले में पंचायत प्रतिनिधियों ने कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ के पास शिकायत कर जांच की गुहार लगाई ,

 


महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) कार्य में बडी फर्जीवाड़ा करने का सनसनी खेज मामला प्रकाश में आया है, पंचायत प्रति निधियों ने सपरंच पर बिना कार्य काराये मनरेगा खाते से पैसा आहरण करने का आरोप लगाते हुए कलेक्टर और जिपं सीईओ से मामले की उचित जांच करने की मांग किये है...सुचना के अधिकार से हुआ मामले का खुलासा

पूरा मामला फिंगेश्वर विकासखंड ग्राम पंचायत कोपरा का है जहां मनरेगा में बिना कार्य किये मजूदरों के नाम से पैसा आहरण किया गया है, पंचायत प्रतिनिधियों ने मनरेगा में हुए फर्जीवाड़ा की शिकायत कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ से की है। साथ ही मामले की शीघ्र जांच करने की गुहार लगाये है।यहां बताना लाजिमी होगा कि कोपरा ग्राम पंचायत में रोजगार गारंटी योजना के तहत नहर नाली खार काटा नाली 06 जुलाई से 18 जुलाई 2020 तक गजानंद के खेत में मरम्मत कार्य बताया गया है। जबकि इस जगह किसी तरह का काम नहीं हुआ है, रोजगार गारंटी में करवाए गए कार्य की जानकारी न तो किसी पंच को और न ही ग्रामीणों को है, इससे भी मजेदार बात यह है कि रोजगार सहायिका ने  जिन मजदूरों को कांटा नाली में काम करना बताया है उन मजदूरों को ही मालूम नहीं है कि वे नहर नाली में काम किया है। वहीं पंचों का कहना है कि मनरेगा के मोबाइल एप में उक्त कार्य होना बताया जा रहा है। पंचायत प्रतिनिधियों ने कार्य का भौतिक सत्यापन किया तो वहां कोई कार्य नहीं हुआ है। पंचायत सचिव और रोजगार सहायिका भी गोलमोल जवाब दे रहें है जबकि मस्टररोल में जिन मजदूरों का नाम दर्ज है, उनसे पंचायत प्रतिनिधियों ने संपंर्क किया तो मजदूरों ने भी कार्य करने से इंकार किया है कुल 73,600 रुपए का कार्य हुआ है।इस तरह रोजगार सहायिका और पंचायत सचिव ने मनरेगा के  काम में फर्जी मस्टर रोल के जरिए राशि का गोलमाल किया है।


वहीं इस मामले में ग्राम पंचायत कोपरा के सरपंच डाली साहू का कहना है कि चबूतरा का काम आया था उस काम को एक सप्ताह में पूरा करने का जनपद से अधिकारियों का लगातार दबाव आ रहा था और जो राशि  मजदूरी के लिए आया था उसमें काम होना संभव नहीं था तो काम नहीं कर रहे थे जिसके बाद फिर जनपद के अधिकारियों ने दबाव बनाया की काम करो मनरेगा के कही और दूसरे कामो के मजदूरों को अर्जेठ करने की बात मौखिख रूप से कही जिसके बाद हमारे पंचायत द्वारा तीन चार शिप्ट में काम करवाया गया और पेमेंट मजदूरों के खाते डाला गया है  जो आरोप लगाया जा रहा है वह गलत है हमने मजदूरों का पैसा सीधा उनके खातों में डलवा दिया है!

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