अवैध रेत उत्खनन पर रोक लगाने एवं पारदर्शिता लाने जिला कलेक्टर और खनिज अधिकारी से किया माँग
पूरे छत्तीसगढ़ में 15 अक्टूबर तक रेत उत्खनन पर प्रतिबंध होने के बावजूद गरियाबंद जिला के नदियों से भरी बरसात में भी ठेकेदारों द्वारा भंडारण के आड़ में अवैध रूप से उत्खनन किया गया है इससे जिले के संबंधित अधिकारी भली भांति वाकिफ हैं। इस अवैध उत्खनन के चलते पर्यावरण की काफी क्षति हुई है जिसका ताजा उदाहरण कुरुसकेरा नदी किनारे का कटाव और रोपित वृक्षों का नष्ट होना है। स्थानीय लोग तो अपनी जरूरतों के लिए रेत निकालने में असमर्थ रहे चलानी कार्यवाही भी ज्यादातर स्थानीय ट्रैक्टरों पर किया गया लेकिन महाराष्ट्र से आये गुड्स कैरियर की ट्रकें बेधड़क रेत लेकर जाते रहे जो अंतराज्यीय रेत तस्करी का नमूना है।
अब पुनः रेत खदाने चालू होने पर आबंटित रकबे व मात्रा से अधिक उत्खनन तथा किसी प्रकार पर्यावरणीय क्षति न हो इसके लिए पारदर्शिता हेतु रेत निकाले जाने वाले नदी घाटों/ तटों, भंडारण स्थलों, मुख्य सड़क प्रवेश मार्गों, संबंधित ग्राम पंचायतों में बड़े अक्षरों में सूचना पटल के माध्यम से प्रदर्शित किए जाने की मांग अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के राज्य सचिव तेजराम विद्रोही ने किया है। उन्होंने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि गरियाबंद जिला में अवैध रूप से रेत उत्खनन पर रोक लगाने और पारदर्शिता लाने 10 बिंदुओं में जिला कलेक्टर गरियाबंद एवं जिला खनिज अधिकारी गरियाबंद को सुझाव दिया है जो इस प्रकार है- 1. रेत घाट का नाम एवं ठेकेदार का सम्पूर्ण पता व अवधि। 2. रेत घाट चालू करने संबंधी ग्राम पंचायतों का सहमति प्रस्ताव। 3. रेत घाट का क्षेत्रफल, नक्शा, खसरा व रकबा तथा मात्रा। 4. पर्यावरण विभाग द्वारा जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र। 5. रेत भंडारण का स्थान एवं संचालक का सम्पूर्ण पता। 6. रेत भंडारण करने की मात्रा। 7. रेत उत्खनन मजदूर द्वारा या मशीन द्वारा। 8. उत्खनन हेतु निर्धारित समय अवधि रात अथवा दिन में।9. परिवहन हेतु निर्धारित समय अवधि रात अथवा दिन में। 10. जिला कलेक्टर, जिला खनिज अधिकारी एवं अन्य संबंधित सक्षम अधिकारी का संपर्क नंबर। अन्य विषय जो पारदर्शी बनाने में मददगार साबित हो को शामिल करते हुए तथा ग्रामीण अंचलों की स्थानीय जरूरतों को प्राथमिकता में रखते हुए आवश्यक पिट पास के साथ कार्य किया जाना चाहिए। उपरोक्त बिंदुओं को पूरा किये बिना रेत उत्खनन की अनुमति नहीं दिया जाना चाहिए।
इस प्रकार की सूचना पटल की आवश्यकता इसलिए भी है कि कई ग्राम पंचायतों के सरपंच व ग्रामीणों को जिनके क्षेत्र में रेत उत्खनन होता है उन्हें कोई जानकारी नहीं होता है। तो कुछ जगहों पर मिलीभगत कर प्राकृतिक सम्पत्ति का बड़े पैमाने पर दोहन किया जाता है। पिछले दिनों कसडोल क्षेत्र में अनुविभागीय अधिकारी द्वारा चार सरपंचों के विरुद्ध किया गया कार्यवाही इसका उदाहरण है।