छत्तीसगढ़
शिक्षा
स्वदेशी राखियो से चीन को सबक सिखाने के लिए हमें चीन में निर्मित सभी सामान का बहिष्कार करना है। इसकी शुरूआत सभी बहने रक्षाबंधन से कर सकती हैं। भाईयों की कलाई पर बांधी जाने वाली राखी चीन के धागे से बनी हुई नहीं बल्कि स्वदेशी रेशम के धागे से बनाई जाएगी
रक्षाबंधन का पवित्र त्यौहार अगले महीने 3 अगस्त को मनाया जायेगा। यह त्यौहार सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। भाई-बहन के प्यार को समर्पित यह त्यौहार उनके बीच अटूट रिश्ते को दर्शता है। यह त्यौहार तब खास हो जाता है, जब बहनें खुद अपने हाथों से राखी तैयार कर भाईयों के कलाईयों में बांधती है। लाॅकडाउन और कोरोना के बीच महिला समूहों की बहनें इस बार राखी के त्यौहार को विशेष रूप से मनायेगी। वे खुद अपने हाथों से अपने भाईयों के लिए राखी का निर्माण बड़े पैमाने पर की जा रही है। फिंगेश्वर विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम कोपरा के उगता सूरज महिला समूह से जुड़ी महिला समूहों ने इसे नया रूप दिया है। प्लास्टिक और फैंसी राखियों के स्थान पर घर में प्रयुक्त होने वाली खाद्य सामग्रियों को मिलाकर राखी का निर्माण खुबसूरती के साथ किया जा रहा है। इस बार राखी में धान ,चावल, चना, सरसो, उडद,रखियां बीज, ,आदि खाद्य सामग्री के साथ साथ मौली धागा के विभिन्न प्रकार की आकर्षक एवं सस्ती राखी का निर्माण कोपरा के उगता सूरज ग्राम संगठन समिति के द्वारा किया जा रहा है।स्थानीय मांग और लागत को ध्यान में रखते हुए राखियां कम मूल्य पर तैयार की जा रही है। इन राखियों का मूल्य 5 रुपये से लेकर 50 अधिकतम रुपये के कीमत तक है।
राखियों को बेचने के लिए दुकान दारो के माध्यम से और छोटे-छोटे स्टाॅल लगाकर विक्रय करने की तैयारी किया जा रहा है! इससे मिलने वाले लाभ से समूह की आय बढे़गी। इस काम में कुल 20 लोग सामिल है जिसमे कुछ स्कूल के बच्चे भी शामिल हैं! यह रखी बनाने का मुख्य उद्देश्य श्वदेशी को अपनाना है और साथ ही कोरोना काल मे चल रही बेरोजगारी को दूर करना ही मुख्य उद्देश्य है!संगठन से जुड़ी महिलाओं ने बताया कि रोजगार का यह बेहतर साधन उपलब्ध हो रहा है! घर में अपने आप को सुरछित भी रखना हो रहा है और साथ में राखी बना कर हम महिलाओ की इससे बेरोजगारी भी दूर हो रही है !
महिलाओं ने छेड़ी जंग,स्वदेशी राखियो से चीन को सबक सिखाने के लिए ! धान ,उडद ,चना, चावल, सरसो, रखियां बीज,से इस बार सजेंगे भाइयो के कलाई में राखियां
Saturday, July 18, 2020
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स्वदेशी राखियो से चीन को सबक सिखाने के लिए हमें चीन में निर्मित सभी सामान का बहिष्कार करना है। इसकी शुरूआत सभी बहने रक्षाबंधन से कर सकती हैं। भाईयों की कलाई पर बांधी जाने वाली राखी चीन के धागे से बनी हुई नहीं बल्कि स्वदेशी रेशम के धागे से बनाई जाएगी
रक्षाबंधन का पवित्र त्यौहार अगले महीने 3 अगस्त को मनाया जायेगा। यह त्यौहार सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। भाई-बहन के प्यार को समर्पित यह त्यौहार उनके बीच अटूट रिश्ते को दर्शता है। यह त्यौहार तब खास हो जाता है, जब बहनें खुद अपने हाथों से राखी तैयार कर भाईयों के कलाईयों में बांधती है। लाॅकडाउन और कोरोना के बीच महिला समूहों की बहनें इस बार राखी के त्यौहार को विशेष रूप से मनायेगी। वे खुद अपने हाथों से अपने भाईयों के लिए राखी का निर्माण बड़े पैमाने पर की जा रही है। फिंगेश्वर विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम कोपरा के उगता सूरज महिला समूह से जुड़ी महिला समूहों ने इसे नया रूप दिया है। प्लास्टिक और फैंसी राखियों के स्थान पर घर में प्रयुक्त होने वाली खाद्य सामग्रियों को मिलाकर राखी का निर्माण खुबसूरती के साथ किया जा रहा है। इस बार राखी में धान ,चावल, चना, सरसो, उडद,रखियां बीज, ,आदि खाद्य सामग्री के साथ साथ मौली धागा के विभिन्न प्रकार की आकर्षक एवं सस्ती राखी का निर्माण कोपरा के उगता सूरज ग्राम संगठन समिति के द्वारा किया जा रहा है।स्थानीय मांग और लागत को ध्यान में रखते हुए राखियां कम मूल्य पर तैयार की जा रही है। इन राखियों का मूल्य 5 रुपये से लेकर 50 अधिकतम रुपये के कीमत तक है।
राखियों को बेचने के लिए दुकान दारो के माध्यम से और छोटे-छोटे स्टाॅल लगाकर विक्रय करने की तैयारी किया जा रहा है! इससे मिलने वाले लाभ से समूह की आय बढे़गी। इस काम में कुल 20 लोग सामिल है जिसमे कुछ स्कूल के बच्चे भी शामिल हैं! यह रखी बनाने का मुख्य उद्देश्य श्वदेशी को अपनाना है और साथ ही कोरोना काल मे चल रही बेरोजगारी को दूर करना ही मुख्य उद्देश्य है!संगठन से जुड़ी महिलाओं ने बताया कि रोजगार का यह बेहतर साधन उपलब्ध हो रहा है! घर में अपने आप को सुरछित भी रखना हो रहा है और साथ में राखी बना कर हम महिलाओ की इससे बेरोजगारी भी दूर हो रही है !
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