छत्तीसगढ़
वर्षा ऋतु में मछलियों की वंश वृद्धि (प्रजनन) को दृष्टिगत रखते हुए उन्हें संरक्षण देने के लिए छत्तीसगढ़ नदीय मत्स्योद्योग अधिनियम 1972 की धारा के तहत जिले में 16 जून से 15 अगस्त तक की अवधि को बंद ऋतु के रूप में घोषित किया गया है। जिले के समस्त नदियों - नालों, छोटी नदी एवं सहायक नदियों में जिन पर सिंचाई के तालाब, छोटे या बड़े जलाशय निर्मित किये गये हैं, उनमें किये जा रहे केज कल्चर के अतिरिक्त सभी प्रकार का मत्स्याखेट 15 अगस्त तक पूर्णतः निषिद्ध रहेगा। मछली पालन विभाग के सहायक संचालक ने बताया कि इन नियमों का उलंघन करने पर छत्तीसगढ़ राज्य मत्स्य क्षेत्र अधिनियम के अंतर्गत अपराध सिद्ध होने पर एक वर्ष का कारावास अथवा दस हजार रूपये जुर्माना अथवा दोनो एक साथ दिया जा सकता है। उक्त नियम केवल छोटे तालाब या अन्य जल स्त्रोत जिनका संबंध किसी नाले से नहीं है, के अतिरिक्त जलाशयों में किये जा रहे केज कल्चर में लागू नहीं होंगे।
मत्स्याखेट 15 अगस्त तक प्रतिबंधित उल्लंघन करने पर एक वर्ष का कारावास या दस हजार रूपये का जुर्माना
Friday, June 19, 2020
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वर्षा ऋतु में मछलियों की वंश वृद्धि (प्रजनन) को दृष्टिगत रखते हुए उन्हें संरक्षण देने के लिए छत्तीसगढ़ नदीय मत्स्योद्योग अधिनियम 1972 की धारा के तहत जिले में 16 जून से 15 अगस्त तक की अवधि को बंद ऋतु के रूप में घोषित किया गया है। जिले के समस्त नदियों - नालों, छोटी नदी एवं सहायक नदियों में जिन पर सिंचाई के तालाब, छोटे या बड़े जलाशय निर्मित किये गये हैं, उनमें किये जा रहे केज कल्चर के अतिरिक्त सभी प्रकार का मत्स्याखेट 15 अगस्त तक पूर्णतः निषिद्ध रहेगा। मछली पालन विभाग के सहायक संचालक ने बताया कि इन नियमों का उलंघन करने पर छत्तीसगढ़ राज्य मत्स्य क्षेत्र अधिनियम के अंतर्गत अपराध सिद्ध होने पर एक वर्ष का कारावास अथवा दस हजार रूपये जुर्माना अथवा दोनो एक साथ दिया जा सकता है। उक्त नियम केवल छोटे तालाब या अन्य जल स्त्रोत जिनका संबंध किसी नाले से नहीं है, के अतिरिक्त जलाशयों में किये जा रहे केज कल्चर में लागू नहीं होंगे।
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