राजनीति
गरियाबंद जिले में लॉकडाउन के कारण नशे से जुडी तमाम चीजें प्रतिबंधित है, फिर चाहे गुटाखू हो या गुटका या फिर शराब, लेकिन ब्लैकमेलिंग में सब उपलब्ध है, छोटे पारा टोला से लेकर जिला मुख्यालय तक सबकुछ आसानी से उपलब्ध हो रहा है।
जानकारों की माने तो जिले में सभी नशीली चींजो की बडे पैमाने पर ब्लैकमेलिंग हो रही है, 5 रुपये में बिकने वाला गुटाखू 25 से 30 रुपये में बिक रहा है, 3 से 5 रुपये में बिकने वाला गुटका 10 रुपये हो गया है, वही शराब भट्टियां बंद होने से महुआ शराब तीगुनी कीमत पर बिक रही है, यानि 70 रुपये में बिकने वाली महुआ दारु 200 रुपये बोतल बिक रही है।
जानकारों का दावा है कि गुटाखू और गुटका चिल्हर बेचने वालो को कोई मुनाफा नही हो रहा है, थोक विक्रेता ही उऩ्हें मंहगे दामों पर बेच रहे है जिसके चलते उऩ्हें मंहगे दामों पर बेचना पड रहा है, जिले के कुछ व्यापारियों के पास पुराना स्टॉक पडा हुआ है जो अब चांदी काट रहे है, महुआ दारु की बात की जाए तो छुरा, फिंगेश्वर और पाण्डुका थाना क्षेत्र की सरहद से लगे गांवो में बडे पैमाने पर महुआ शराब बनाई जा रही है, पहले 60 से 70 रुपये में आसानी से एक बोतल मिल जाती थी मगर अब 200 रुपये में भी लोग खरीदने को तैयार है, यहां तक कि रायपुर जिले में भी यही से ही सप्लाई हो रही है।
ऐसा नही कि पुलिस कार्यवाही नही कर रही है या हाथ पर हाथ धरे बैठी है, पुलिस की लगातार कार्यवाही के बाद भी ब्लैकमेलरों के हौंसलें बुलंद है, जानकारों की माने तो गुटाखू और गुटका की कार्यवाही में जिला प्रशासन जरुर सुस्त है, लेकिन देशी शराब को लेकर लगातार धरपकड जारी है, जानकारों का दावा है जब तक गुटाखू और गुटका के थोक व्यापारियों पर छापामार कार्यवाही नही होगी तब तक इनकी बिक्री रुकना मुश्किल है, इसी प्रकार देशी शराब में भी पुलिस केवल सडक से गुजरने वाले तस्करों पर ही कार्यवाही कर रही है, शराब बनाने वालों पर अबतक कोई कार्यवाही नही कर पायी, जिसके महुआ की बिक्री और ग्राहक दोनों तेजी से बढ रहे है।
प्रतिबंधित के बाद भी चाहे गुटाखू हो या फिर शराब, लेकिन ब्लैकमेलिंग में सब उपलब्ध है,
Tuesday, April 14, 2020
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गरियाबंद जिले में लॉकडाउन के कारण नशे से जुडी तमाम चीजें प्रतिबंधित है, फिर चाहे गुटाखू हो या गुटका या फिर शराब, लेकिन ब्लैकमेलिंग में सब उपलब्ध है, छोटे पारा टोला से लेकर जिला मुख्यालय तक सबकुछ आसानी से उपलब्ध हो रहा है।
जानकारों की माने तो जिले में सभी नशीली चींजो की बडे पैमाने पर ब्लैकमेलिंग हो रही है, 5 रुपये में बिकने वाला गुटाखू 25 से 30 रुपये में बिक रहा है, 3 से 5 रुपये में बिकने वाला गुटका 10 रुपये हो गया है, वही शराब भट्टियां बंद होने से महुआ शराब तीगुनी कीमत पर बिक रही है, यानि 70 रुपये में बिकने वाली महुआ दारु 200 रुपये बोतल बिक रही है।
जानकारों का दावा है कि गुटाखू और गुटका चिल्हर बेचने वालो को कोई मुनाफा नही हो रहा है, थोक विक्रेता ही उऩ्हें मंहगे दामों पर बेच रहे है जिसके चलते उऩ्हें मंहगे दामों पर बेचना पड रहा है, जिले के कुछ व्यापारियों के पास पुराना स्टॉक पडा हुआ है जो अब चांदी काट रहे है, महुआ दारु की बात की जाए तो छुरा, फिंगेश्वर और पाण्डुका थाना क्षेत्र की सरहद से लगे गांवो में बडे पैमाने पर महुआ शराब बनाई जा रही है, पहले 60 से 70 रुपये में आसानी से एक बोतल मिल जाती थी मगर अब 200 रुपये में भी लोग खरीदने को तैयार है, यहां तक कि रायपुर जिले में भी यही से ही सप्लाई हो रही है।
ऐसा नही कि पुलिस कार्यवाही नही कर रही है या हाथ पर हाथ धरे बैठी है, पुलिस की लगातार कार्यवाही के बाद भी ब्लैकमेलरों के हौंसलें बुलंद है, जानकारों की माने तो गुटाखू और गुटका की कार्यवाही में जिला प्रशासन जरुर सुस्त है, लेकिन देशी शराब को लेकर लगातार धरपकड जारी है, जानकारों का दावा है जब तक गुटाखू और गुटका के थोक व्यापारियों पर छापामार कार्यवाही नही होगी तब तक इनकी बिक्री रुकना मुश्किल है, इसी प्रकार देशी शराब में भी पुलिस केवल सडक से गुजरने वाले तस्करों पर ही कार्यवाही कर रही है, शराब बनाने वालों पर अबतक कोई कार्यवाही नही कर पायी, जिसके महुआ की बिक्री और ग्राहक दोनों तेजी से बढ रहे है।
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